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मिशन 2019 प्लान A और B


मिशन-2019 के प्लान-A और प्लान-B :--
सारे मुन्ना भाईलोग बेरोजगार हो गए !! कई दिनों से रेटिंग उद्योग बन्द पड़ा है, अच्छे दिन अब कैसे आयेंगे ? (अमित शाह जी को मैंने 30 जून को दूसरा ईमेल भेजा था जिसमें स्पष्ट कह दिया था कि पासपोर्ट मुद्दे पर विरोध हम समाप्त कर रहे हैं क्योंकि सुषमा जी ने टकराव का जो रास्ता चुना है उसे हम स्वीकारे तो भाजपा को कुछ न कुछ तो क्षति ही होगी जो हम नहीं चाहते |)
पाँच मास पहले ही भाजपा ने निर्णय लिया था कि कोई मन्त्री-संतरी फेसबुक पर रेटिंग नहीं कराये | लेकिन एक अपवाद हैं, किसी की सुनती ही नहीं | इनका अलग ही मिशन-2019 है -- भाजपा को सेक्युलर बनाना है | मोदी जी को बहुमत न मिले तो सेक्युलर दलों के समर्थन से PM कैसे बनें |
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सुषमा स्वराज अकेले नहीं हैं, भाजपा की सोच है कि मिशन-2019 में यदि मोदीरूपी प्लान-A बहुमत न ला सकें तो सुषमा स्वराज की सेक्युलर छवि को प्लान-B के रूप में तैयार रखा जाय | कूटनीती के तौर पर देखें तो मैं भी इसे गलत योजना नहीं मानता क्योंकि जो पार्टियाँ खुल्लमखुल्ला हिन्दुत्व की विरोधी हैं उनको किसी भी तिकड़म द्वारा सत्ता से दूर रखना चाहिए |
किन्तु भाजपा जब-जब हिन्दुत्व के मुद्दे से भटकी है तबतब हारी है, चाहे शाइनिंग इन्डिया हो या "सबका भकास" के बहाने कोर वोटरों का अपमान ! भाजपा की पहचान है "हिन्दू राष्ट्र" जिसमें सबको समान अधिकार हो और किसी का अनुचित तुष्टिकरण न हो | आज भी भाजपा का घोषित दर्शन "हिन्दू राष्ट्र" ही है , भले ही सुषमा जी और भाजपाई मीडिया हमें दक्षिणपन्थी अतिवादी हिन्दू कहकर गरिया लें |
हाँ, भाजपाई मीडिया, और उनका JNU | अब हम यह नहीं कहेंगे कि JNU या मीडिया कांग्रेसी या वामपन्थी है | चार वर्ष से अधिक हुए सत्ता मिले, इन संस्थाओं को सुधारने के लिए क्या किये ? एक भी कदम ?? वाजपेयी जी के पास तो बहाना था कि अपना बहुमत नहीं है और हम विवश थे यह बहाना सुनने के लिए, हालाँकि महबूबा मुफ्ती के पास भी उनका अपना बहुमत नहीं था फिर भी अपना अजेंडा चला ही लिया, भले ही सरकार कार्यकाल पूरा कर न पाए | अगली बार और उसके बाद बार-बार आप भी यही बहाना बनायेंगे कि बहुमत नहीं है |
इतने बड़े देश में बड़े भाग्य से बहुमत मिलता है, तीस वर्षों के बाद किसी को मिला था | स्वर्णिम अवसर मिला था भारत को बदलने का, गँवा दिया आपने अपनी सोच के कारण | वोट तो हम आपको ही देंगे, क्योंकि हम बन्धुआ मजदूर हैं हिन्दुत्व के | किन्तु "कांग्रेस-मुक्तभारत" के पीछे कांग्रेस को मिटाकर भाजपा को ही कांग्रेस बनाने की मंशा थी यह किसे पता था ?
सत्य कटु भी हो तो शुतुरमुर्ग और अन्धभक्तों की तरह नकारना नहीं चाहिए, क्योंकि लाख तिकड़म कर लें अन्त में जीत सत्य की ही होती है, किन्तु जो सत्य के साथ नहीं रहते वे उस जीत में सम्मिलित नहीं हो पाते |
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1 जून 2014 को मैंने नरेन्द्र मोदी जी की यह कुण्डली सार्वजनिक की थी, हालाँकि मेरे पास यह पहले से थी, मोदी जी के बड़े भाई अमृत मोदी जी के सौजन्य से प्राप्त हुई थी -- BHU के तत्कालीन ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ चन्द्रमौली उपाध्याय जी के माध्यम से जिन्होंने मेरे सॉफ्टवेयर द्वारा काशी से "आदित्य पंचांग" आरम्भ कराया था | इस कुण्डली में धर्म के स्वामी बुध अशुभ शुक्र के साथ एकादश में बैठकर अधर्म के ग्रह बन गये तथा नवांश-वर्ग में भी राक्षस नवांशों में बैठे ग्रहों का प्राबल्य है (केवल बुध, राहू और केतु राक्षस नवांशों में नहीं है किन्तु वे भी अशुभ नवांश में बैठ गए हैं),
और उससे भी हजारों गुणा अशुभ हैं बृहस्पति जो विद्या और अन्धभक्तों (समर्थकों) के पंचम भाव में अत्यधिक पापग्रह बनकर बैठे हैं -- 3 और 6 के स्वामी पापग्रह होते हैं जो वक्री और शत्रुगृही होने के कारण अत्यधिक बलवान पापग्रह बन गये हैं, अतः शिक्षा में कोई सुधार कदापि नहीं होने देंगे और धर्मदूषक अन्धभक्तों की सेना भी खड़ी हो गयी है | किन्तु विपरीत राजयोगकारक तथा वर्गोत्तम चन्द्रमा के कारण प्रचण्ड राजयोग था |

सुषमा स्वराज अकेले नहीं हैं, भाजपा की सोच है कि मिशन-2019 में यदि मोदीरूपी प्लान-A बहुमत न ला सकें तो सुषमा स्वराज की सेक्युलर छवि को प्लान-B के रूप में तैयार रखा जाय | कूटनीती के तौर पर देखें तो मैं भी इसे गलत योजना नहीं मानता क्योंकि जो पार्टियाँ खुल्लमखुल्ला हिन्दुत्व की विरोधी हैं उनको किसी भी तिकड़म द्वारा सत्ता से दूर रखना चाहिए |

किन्तु भाजपा जब-जब हिन्दुत्व के मुद्दे से भटकी है तबतब हारी है, चाहे शाइनिंग इन्डिया हो या "सबका भकास" के बहाने कोर वोटरों का अपमान ! भाजपा की पहचान है "हिन्दू राष्ट्र" जिसमें सबको समान अधिकार हो और किसी का अनुचित तुष्टिकरण न हो | आज भी भाजपा का घोषित दर्शन "हिन्दू राष्ट्र" ही है , भले ही सुषमा जी और भाजपाई मीडिया हमें दक्षिणपन्थी अतिवादी हिन्दू कहकर गरिया लें |

हाँ, भाजपाई मीडिया, और उनका JNU | अब हम यह नहीं कहेंगे कि JNU या मीडिया कांग्रेसी या वामपन्थी है | चार वर्ष से अधिक हुए सत्ता मिले, इन संस्थाओं को सुधारने के लिए क्या किये ? एक भी कदम ?? वाजपेयी जी के पास तो बहाना था कि अपना बहुमत नहीं है और हम विवश थे यह बहाना सुनने के लिए, हालाँकि महबूबा मुफ्ती के पास भी उनका अपना बहुमत नहीं था फिर भी अपना अजेंडा चला ही लिया, भले ही सरकार पूरा कार्यकाल चल न पाए | अगली बार और उसके बाद बार-बार आप भी यही बहाना बनायेंगे कि बहुमत नहीं है |

इतने बड़े देश में बड़े भाग्य से बहुमत मिलता है, तीस वर्षों के बाद किसी को मिला था | स्वर्णिम अवसर मिला था भारत को बदलने का, गँवा दिया आपने अपनी सोच के कारण | वोट तो हम आपको ही देंगे, क्योंकि हम बन्धुआ मजदूर हैं हिन्दुत्व के | किन्तु "कांग्रेस-मुक्त भारत" के पीछे कांग्रेस को मिटाकर भाजपा को ही कांग्रेस बनाने की मंशा थी यह किसे पता था ?

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